कमल हासन के चुनाव न लड़ने के फ़ैसले को कही हलकों में हार से डर की तरह लिया गया है. एक विश्लेषक के मुताबिक, "एक नेता के लिए ये ज़रूरी है कि वो अप ने अनुयायियों के लिए खुद उदाहरण बने. अगर उन्होंने अपने खुद के इलाके रामनाथपुरम या किसी ऐसी जगह से चुनाव लड़ा होता जहां पढ़े-लिखे वोटरों की तादाद अच्छी खासी है, इससे पार्टी में नई जान आ जाती." "नेता को हारने की चिंता नहीं करनी चाहिए. अन्ना चुना व हारे, जयललिता चुनाव हारीं. सि र्फ़ करुणानिधि चुनाव नहीं हारे. नेताओं को अपनी हार का इस्तेमाल अगली सीढ़ी चढ़ने के लिए किया है." कमल हासन के समर्थकों के मुताबिक इस फ़ैसले से वो अपने उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार के लिए समय निकाल पाएंगे. शिवगंगाई क्षेत्र में पार्टी सदस्य और कमल हासन फ़ैन चंद्रन का कहना था, "ये पहली बार है कि हम सभी 40 लोकसभा क्षेत्रों (तमिलनाडु में 39 और पुद्दुचेरी में एक ) में चुनाव लड़ रहे हैं. सभी जगहों में प्रचार के लिए पार्टी को उनकी ज़रूरत है. वो भविष्य में चुनाव लड़ेंगे." पार्टी समर्थक इस आरोप को ग़लत बताते हैं कि कमल हासन हारने से डरते ह...